इस वर्ष का दूसरा और अंतिम चंद्र ग्रहण 17 सितंबर को पड़ने वाला है, जो कि आंशिक रूप से होगा।
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आंशिक चंद्रग्रहण के दिन और समय का महत्व
सूर्यग्रहण की तरह ही, चंद्रग्रहण भी धरती और चंद्रमा के बीच की खगोलीय स्थिति को प्रदर्शित करता है। 17 सितंबर को आंशिक रूप से दिखाई देने वाला यह चंद्रग्रहण, यूरोप, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, एशिया के कुछ भागों, अफ्रीका और यहाँ तक कि अंटार्कटिका के कुछ क्षेत्रों में भी दिखाई देगा। हालांकि, भारतीय समयानुसार जब यह ग्रहण शुरू होगा, तब भारत में प्रात:काल हो चुका होगा, जिस कारण से भारत में इसे देख पाना संभव नहीं होगा।
चंद्रग्रहण पर विज्ञान और आध्यात्मिकता का दृष्टिकोण
सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण दोनों ही खगोलीय पिंडों की स्थितियों का नतीजा हैं जो वैज्ञानिक रूप से भौतिकी के नियमों का पालन करते हैं। विज्ञान इन घटनाओं को खगोलीय दृष्टिकोण से समझाता है, वहीँ आध्यात्मिकता इन्हें प्राकृतिक घटनाओं के रूप में मानवीय जीवन और उसकी गतिविधियों से जोड़ती है।
अंततः, चंद्रग्रहण जैसी खगोलीय घटनाएं न केवल वैज्ञानिक रहस्यों और जिज्ञासा को बढ़ाती हैं, बल्कि यह हमें ब्रह्मांड की विशालता और सौंदर्य की भी याद दिलाती हैं।