यह कहानी है राघव की, एक छोटे से गाँव के लड़के की, जिसने अपने सपनों को कभी हारने नहीं दिया।
राघव का बचपन बहुत ही साधारण था। वह बिहार के एक छोटे से गाँव में पला-बढ़ा, जहाँ सुविधाओं की बहुत कमी थी। बिजली कई बार चली जाती, और पानी भी सही समय पर नहीं आता था। गाँव में एक सरकारी स्कूल था, जहाँ शिक्षा की व्यवस्था तो थी, लेकिन गुणवत्ता की कमी थी। राघव के पिता एक किसान थे, जो दिन-रात मेहनत करके अपने परिवार का पेट पालते थे। माँ गृहिणी थी, जो परिवार के साथ-साथ खेतों में भी हाथ बंटाती थी।
राघव का जीवन भी अपने दोस्तों की तरह शुरू हुआ। स्कूल जाने के बाद वह अपने पिता के साथ खेतों में मदद करता था। लेकिन उसके दिल में कुछ और ही चल रहा था। वह पढ़ाई में बहुत तेज था, और उसकी सोच अपने गाँव के बाहर की दुनिया को लेकर बहुत बड़ी थी। उसे हमेशा लगता था कि अगर उसे सही मौका मिले, तो वह कुछ बड़ा कर सकता है।
पहला मोड़
जब राघव 10वीं कक्षा में था, तब उसके गाँव में पहली बार इंटरनेट कनेक्शन आया। गाँव के एक छोटे से सायबर कैफे में जाकर उसने पहली बार कंप्यूटर पर हाथ आजमाया। उसे वहाँ दुनिया की असीमित जानकारी मिली। उसने अपने भीतर एक नई उमंग महसूस की, और उस दिन से उसने ठान लिया कि वह पढ़ाई में अपना पूरा ध्यान लगाएगा।
वह अपने गाँव के छोटे से सरकारी स्कूल में दिन-रात मेहनत करता, लेकिन उसे पता था कि गाँव की सीमित शिक्षा से उसे वो सब नहीं मिलेगा, जो वह चाहता है। इसलिए वह सायबर कैफे जाकर ऑनलाइन सामग्री पढ़ता, वीडियो देखता और हर उस चीज़ को सीखता, जिससे उसका ज्ञान बढ़ सके।
संघर्ष की शुरुआत
12वीं की परीक्षा के बाद राघव को शहर के एक बड़े कॉलेज में एडमिशन मिला। लेकिन समस्या थी आर्थिक तंगी की। उसके परिवार के पास शहर में पढ़ाई और रहने का खर्च उठाने के पैसे नहीं थे। राघव ने हार नहीं मानी। उसने एक छोटा-सा ट्यूशन पढ़ाने का काम शुरू किया, जिससे वह अपनी फीस और रहने का खर्च जुटा सके।
दूसरा मोड़
कॉलेज में राघव ने खुद को पूरी तरह से पढ़ाई में डुबो दिया। वह हमेशा सबसे आगे रहता और हर विषय में उच्चतम अंक प्राप्त करता। धीरे-धीरे, उसकी मेहनत रंग लाने लगी। उसे कॉलेज से स्कॉलरशिप मिलनी शुरू हो गई, जिससे उसकी आर्थिक मुश्किलें कुछ कम हुईं।
एक दिन, कॉलेज में एक बड़ी कंपनी का प्लेसमेंट ड्राइव हुआ। राघव को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया। इंटरव्यू के दौरान, उसके आत्मविश्वास, मेहनत और ज्ञान ने सबको प्रभावित किया। उसे उस कंपनी में नौकरी मिल गई, जो उसकी जिंदगी का सबसे बड़ा मोड़ था। उसने अपने माता-पिता को यह खबर दी, और वह दिन उनके लिए एक सपने जैसा था।
सफलता की ऊंचाइयाँ
नौकरी मिलने के बाद राघव ने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा। उसने अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधारा, अपने गाँव में स्कूलों के लिए मदद की, और गाँव के बच्चों को कंप्यूटर और इंटरनेट की सुविधाएं मुहैया करवाईं।
आज राघव एक सफल इंजीनियर है, जो अपने गाँव के बच्चों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है। वह हमेशा कहता है, “कठिनाइयाँ केवल हमारी कड़ी मेहनत और विश्वास की परीक्षा लेती हैं। सपनों को पाने का रास्ता कठिन हो सकता है, लेकिन अगर दिल में सच्ची लगन हो, तो कोई भी सपना असंभव नहीं।”
राघव की कहानी हमें यह सिखाती है कि संसाधनों की कमी या परिस्थितियाँ कभी हमारे सपनों के रास्ते में नहीं आ सकतीं। जब इंसान खुद पर विश्वास करता है, तो वह हर मुश्किल को पार कर सकता है।