नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क।
दशहरा, जिसे विजयदशमी भी कहा जाता है, भारत में बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह उत्सव नवरात्रि के समापन के बाद मनाया जाता है, जब रावण के पुतले जलाकर भगवान राम की जीत का जश्न मनाया जाता है। आइए जानते हैं दशहरा से जुड़ी कुछ खास बातें जो शायद कम लोग जानते हों।
नाम का महत्व
दशहरा और विजयदशमी दोनों का महत्व बुराई पर अच्छाई की जीत से जुड़ा है। भगवान राम ने रावण का वध किया, और देवी दुर्गा ने महिषासुर को पराजित किया। “दशहरा” शब्द संस्कृत के “दश” (दस) और “हारा” (हार) से आया है, जिसका अर्थ है दस सिरों वाले रावण की हार। वहीं “विजयदशमी” का अर्थ है विजय का दसवां दिन।
मैसूर में दशहरा उत्सव
मैसूर का दशहरा उत्सव भारत के सबसे भव्य उत्सवों में से एक है। इसे 17वीं शताब्दी में मैसूर के राजाओं द्वारा भव्य तरीके से मनाने की परंपरा शुरू हुई। इस दौरान सजे-धजे हाथियों का जुलूस निकाला जाता है, जिसमें देवी चामुंडेश्वरी की सुनहरी पालकी मुख्य आकर्षण होती है।
रावण के 10 सिर का अर्थ
पौराणिक कथाओं में रावण के 10 सिर ज्ञान और शक्ति का प्रतीक हैं। यह छह शास्त्रों और चार वेदों के ज्ञान को दर्शाता है। साथ ही, यह 10 मानवीय भावनाओं जैसे क्रोध, अहंकार, ईर्ष्या, वासना, और लालच का भी प्रतीक है।
कुल्लू का अनोखा दशहरा
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में दशहरा सप्ताहभर तक मनाया जाता है। यह उत्सव भगवान रघुनाथ और अन्य देवताओं के जुलूस के साथ शुरू होता है, जो घाटी के विभिन्न स्थानों से होकर गुजरता है। यह विशेष उत्सव पूरे देश में अनूठा माना जाता है।
दूसरे देशों में भी मनाया जाता है दशहरा
भारत के अलावा, दशहरा नेपाल, बांग्लादेश और मलेशिया जैसे देशों में भी मनाया जाता है। इन देशों में भी यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
पांडवों की घर वापसी
पांडवों की निर्वासन से घर वापसी भी दशहरा के साथ जुड़ी हुई है। जब उनका वनवास समाप्त हुआ, तो उन्होंने विजयदशमी के दिन अपने शस्त्र पुनः प्राप्त किए और शमी वृक्ष की पूजा की। इसी कारण शमी वृक्ष को सद्भावना का प्रतीक माना जाता है।
बौद्ध धर्म में भी महत्वपूर्ण
दशहरा का दिन बौद्ध धर्म के लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म अपनाया था। सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार में अहम भूमिका निभाई थी और इसे पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैलाया।
मौसम में बदलाव का प्रतीक
दशहरा मॉनसून के अंत और सर्दी के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है। इस समय किसान खरीफ की फसल काटते हैं और रबी की फसल की तैयारी करते हैं। यह दिन न केवल धार्मिक रूप से, बल्कि कृषि के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है।
दशहरा केवल एक त्योहार नहीं है, यह हमें जीवन में नैतिकता, सच्चाई, और सकारात्मकता का महत्व सिखाता है।